जोधपुर जिले से संबंधित महत्वपूर्ण स्थान, मन्दिर,दुर्ग संस्थान
जोधपुर जिले से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
जोधपुर जिले से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
उम्मेद भवन/ छितर पैलेस- इसका निर्माण उमेद सिंह के द्वारा 18 नवंबर 1928 को शुरू करवाया गया तथा 1940 में बनकर यह पूरा हुआ जिस का वास्तुकार हेनरी लैकेंस्टर था
जसवंतथडा- इसका निर्माण जसवंत सिंह द्वितीय की स्मृति में सरदार सिंह के द्वारा 1906 में करवाया गया था इसे राजस्थान का ताजमहल भी कहा जाता है
रूपायन सस्थां- यह लोक कलाओ को संरक्षण प्रदान करने वाली संस्था है इसकी स्थापना कोमल कोठारी ने रूप सिंह शेखावत के नाम पर 1960 में की थी यह जोधपुर के बोरुंदा में स्थित है
खेजड़ली गावं- विश्व में एकमात्र वृक्ष मेला भाद्रपद शुक्ल दशमी को यहीं पर आयोजित किया जाता है यहीं पर अमृता देवी विश्नोई के नेतृत्व में 363 स्त्री पुरुषों ने वृक्षों को बचाने की खातिर अपने प्राणों का बलिदान किया था अभय सिंह के समय
खेजड़ली गावं- विश्व में एकमात्र वृक्ष मेला भाद्रपद शुक्ल दशमी को यहीं पर आयोजित किया जाता है यहीं पर अमृता देवी विश्नोई के नेतृत्व में 363 स्त्री पुरुषों ने वृक्षों को बचाने की खातिर अपने प्राणों का बलिदान किया था अभय सिंह के समय
ओसिया- इसे राजस्थान का भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है यहां पर सूर्य मंदिर, हरिहर मंदिर तथा सच्चिया माता का मंदिर बना हुआ है
घूड़ला- यह लोक नृत्य चैत्र कृष्ण सप्तमी को शुरू होता है जिसमें विशेष छिद्रो के घड़े मे दीपक रखकर नृत्य किया जाता है
मथानिया- यह क्षेत्र लाल मिर्च के लिए प्रसिद्ध है यहीं पर देश की पहली सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की गई थी
फलौदी- यह राज्य का सर्वाधिक शुष्क स्थान है
घूड़ला- यह लोक नृत्य चैत्र कृष्ण सप्तमी को शुरू होता है जिसमें विशेष छिद्रो के घड़े मे दीपक रखकर नृत्य किया जाता है
मथानिया- यह क्षेत्र लाल मिर्च के लिए प्रसिद्ध है यहीं पर देश की पहली सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित की गई थी
फलौदी- यह राज्य का सर्वाधिक शुष्क स्थान है
कायलाना झील- इसका निर्माण प्रताप सिंह के द्वारा करवाया गया था वही बालसमंद झील भी जोधपुर में ही स्थित है
एक थंभा महल सूर्य नगरी के नाम से प्रसिद्ध जोधपुर में स्थित है इसका निर्माण अजीत सिंह के द्वारा करवाया गया था अजीत सिंह को प्रारंभिक समय में औरंगजेब ने जोधपुर का शासक मानने से इनकार कर दिया था बाद में दुर्गादास के प्रयासों से अजीत सिंह जोधपुर का शासक बना था हालांकि बाद में अजीत सिंह ने दुर्गादास को भी मारवाड़ से निष्कासित कर दिया था बाद में मारवाड़ के शासक राज सिंह ने इनको केलवा की जागीर प्रदान की अजीत सिंह का पालन पोषण गोरा धाय के द्वारा किया गया था इस कारण इसे मारवाड़ की पन्नाधाय भी कहा जाता है अजीत सिंह ने अपनी पुत्री इंद्रकुवंरी की शादी फर्रूखसियर के साथ की थी
इसके अग्रगामी शासक अभय सिंह के समय खेजड़ली घटना हुई थी अगले महत्वपूर्ण शासक मानसिंह हुए जिनकी समय कृष्णा कुमारी विवाद हुआ था जिसके कारण परबतसर के पास गिंगोली नामक स्थान पर युद्ध हुआ जिसमें यह जयपुर के शासक जगत सिंह के हाथों पराजित हुए इन्होंने ही 1818 में अंग्रेजों के साथ सहायक संधि कर ली थी अंग्रेजों की ओर से सहायक संधि पर हस्ताक्षर चार्लस मेटकाफ के द्वारा किए गए...
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