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स्वतंत्रता का अधिकार(अनुच्छेद:-19 से अनुच्छेद:-22)Right to freedom


स्वतंत्रता का अधिकार(अनुच्छेद:-19 से अनुच्छेद:-22)




👉अनुच्छेद:-19 अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत अधिकार केवल नागरिकों के लिए हैं..

👉अनुच्छेद 19(1)- नागरिक की 6 स्वतंत्रताएं (अनुच्छेद 19- 22) प्रदान की गई-
💫(a)अनुच्छेद 19(1)a- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (प्रेस की स्वतंत्रता)

💫(b)अनुच्छेद 19(1)b - शांतिपूर्ण सम्मेलन की स्वतंत्रता।

💫(C)अनुच्छेद 19(1)c- संघ/संगठन/सहकारी समितियां बनाने की स्वतंत्रता।

💫(d)अनुच्छेद 19(1)d- अबाध संचरण या आगमन की स्वतंत्रता।

💫(e)अनुच्छेद 19(1)e - निवास की स्वतंत्रता।

💫(g)अनुच्छेद19(1)g - वृत्ति/जीविका की स्वतंत्रता।

👉Note:- प्रारम्भ में अनुच्छेद 19(1) में कुल 7 स्वतंत्रता दी थी ,अनुच्छेद 19(1)f में उपबंधित संपत्ति के अर्जन, और धारण के अधिकार की स्वतंत्रता को 44वें संविधान संशोधन अधिनियम 1978 द्वारा निरसित कर दिया गया है।


👉अनुच्छेद 19 (1) (a): 
बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रत्येक नागरिक को भाषण द्वारा लेखन, मुद्रण, चित्र या किसी अन्य तरीके से स्वतंत्र रूप से किसी के विचारों और विश्वासों को व्यक्त करने का अधिकार प्रदान करती है।

👉अनुच्छेद 19 (2): इसके आधार पर राज्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगाने का अधिकार रखता है। युक्तियुक्त निर्बंधनों की घोषणा निम्न है-

💫भारत की सुरक्षा व संप्रभुता
💫मानहानि
💫विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध
💫सार्वजनिक व्यवस्था
💫शिष्टाचार या सदाचार
💫न्यायालय की अवमानना


👉Article-20 अपराधों की दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण 


💫अनुच्छेद 20(1) कार्योत्तर वीधियो से संरक्षण अर्थात किसी व्यक्ति को तभी दोषी ठहरा कर दंड दिया जा सकता है जब उसने उस समय लागु विधि को तोड़ा हो दाणिडक विधिया  भुतलक्षी प्रभाव से लागू नहीं होती 
💫उदाहरण 1995 में किसी व्यक्ति ने अफीम उगाई उस समय अफीम उगाना अपराध नहीं था और 1996 में सरकार ने अफीम उगाने को गैरकानूनी में घोषित कर 5 वर्ष की सजा का कानून बना दिया तो उस व्यक्ति को सजा नहीं दी जा सकती

👉 अनुच्छेद 20(2)दोहरे जोखिम या दंड का सिद्धांत- किसी व्यक्ति को एक अपराध के लिए एक से अधिक बार दंडित नहीं किया जा सकता है एक अपराध के लिए एक ही बार सजा दी जा सकती है 
Note-यह  सिद्धांत न्यायिक कार्रवाहियों पर लागू होता है विभागीय कार्यवाही पर नही
👉अनुच्छेद 20(3 )आत्म दोषारोपण का सिद्धांत -किसी आरोपी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता
💫 मिसेज X v/s मिस्टर Z वाद 2002 में सर्वोच्च न्यायालय में DNA टेस्ट को 20(3)  के तहत आत्म दोषा रोपण नहीं माना अतः DNA साक्ष्य गवाही के रूप में उपयोग किया जा सकता है



👉Article-21 प्राण व दैहिक स्वतंत्रता -किसी व्यक्ति को उसकी प्राण वह दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जा सकता है अन्यथा नहीं 

💫डॉ अंबेडकर इस अनुच्छेद को संविधान का मेरुदंड तथा मेग्नाकार्टा मानते हैं

💫 विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया भारत में जापान से ली गई है तथा A K गोपालन वाद1950 के मामले में उच्चतम न्यायालय ने विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया को माना 

💫विधि की उचित प्रक्रिया यह प्राकृतिक न्याय के समतुल्य हैं तथा यह USA से प्रभावित हैं तथा मेनका गांधीवाद 1971 के बाद उच्चतम न्यायालय ने विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के साथ-साथ विधि की उचित प्रक्रिया को भी महत्व दिया

👉अनुच्छेद 20 व 21 44 वें संविधान संशोधन 1978 के बाद से राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपात (अनुच्छेद 352 )के समय अनुच्छेद 359 के तहत लंबित नहीं किया जा सकता

👉अनुच्छेद 21 से संबंधित महत्वपूर्ण वाद मेनका गांधीवाद 1978 -विदेश जाने का अधिकार 


मोहनी जैन वाद 1992 -शिक्षा पाने का अधिकार 

मुरली देवडा वाद 2001 -सार्वजनिक स्थलों पर धूमपान निषेध

PUCL वाद 2000-निशुल्क खाद्य सामग्री पाने का अधिकार 


विशाखा वाद 1997 -कार्य स्थलों पर महिला कर्मियों के यौन उत्पीड़न पर रोक 

👉अनुच्छेद 21 A निशुल्क शिक्षा का अधिकार मोहनी जैन वर्सेस कर्नाटक वाद 1992 के बाद संसद ने 86 व संविधान संशोधन 2002 पारित किया इसी के तहत अनुच्छेद 21 ए जोड़ा गया
👉राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बालकों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराये ।


👉Article-22 - कुछ दशा में गिरफ्तारी व निरोध से संरक्षण



💫इस अनुच्छेद में गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के अधिकार व स्वतंत्रता है इसमें दो प्रकार की गिरफ्तारियां हैं
A- सामान्य दंड विधि के अधीन गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार 
💫1-गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार 
💫2-वकील से परामर्श व बचाव का अधिकार 
💫गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने का अधिकार 
💫बिना जज की अनुमति के 24 घंटे से ज्यादा बंद ना किए जाने का अधिकार 
Note-यह अधिकार दो व्यक्तियों को उपलब्ध नहीं है शत्रु देश के नागरिक को, निवारक निरोध विधि के अधीन गिरफ्तार व्यक्ति को

B- निवारक निरोध विधि के अधीन गिरफ्तारी अन्य देशों में जहा इसे आपातकाल में लागू किया जाता है वहीं भारतीय संविधान अनुसार इसे आपात व शांति दोनों के समय लागू किया जा सकता है
💫यह निवारणात्मक करवाई है जो अपराध की पूर्व रोकथाम करती है इसमें व्यक्ति को अपराध करने से पूर्व संदेह के आधार पर गिरफ्तार कर दिया जाता है 
💫Note-निवारक निरोध का विषय समवर्ती सूची में आता है 

👉निवारक निरोध के तहत किसी भी व्यक्ति को अपराध करने से पूर्व पकड़ कर 3 महीने तक जेल में रखा जा सकता है संसद निवारक निरोध की अवधि बढ़ा सकती हैं 
👉अगर 3 महीने से ज्यादा जेल में रखना है तो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से युक्त सलाहकार बोर्ड की राय आवश्यक है 
👉44 वें संविधान संशोधन 1971 द्वारा 3 महीने वाली अवधि को घटाकर दो माह कर दिया गया पर यह आज तक लागू नहीं की गई वर्तमान में भी यह अवधि 3 महीने की है
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